कबिता, हिंदी साहित्य, motivation

हिमाद्रि तुंग शृंग से / जयशंकर प्रसाद

हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारतीस्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!' असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सीसपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी!अराति सैन्य सिंधु में, सुवाडवाग्नि से जलो,प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो, बढ़े चलो!

आत्मविश्वास, जबलपुर, जिंदगी, नफरत, life, motivation, struggle, thought

घाव जरूरी हैं।

परंतु अगर इन्हे सकारात्मक नजरिये से सोचें तो एक सुयोग्य मानव जीवन का श्रजन करने में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। ये घाव दिखाई नही देते किंतु दर्द बहुत देते है , ये आपकी अंतर आत्मा को चोट पहुँचते हैं। ये हमारी मानशिक्ता को अपना शिकार बनाते है, और इसका विपरीत प्रभाव हमारे आत्मविश्वास पर पड़ता है। धोखा, फ़रेब, हद से ज्यादा उम्मीद, विश्वासघात, अन्याय, तिरस्कार, अपमान, हीनभाव, पक्षपात, दया आदि इस घाव के प्रमुख कारक है।