ये रात गयी , तेरी याद गयी। मौसम बदला बरसात आ गई , धूप की जगह बदरी छा गई। प्रक्रति बदली मिट्टी की महक आ गई, पसीने की जगह पानी की बुंदे छा गई। तेरे अंदाज बदले, मेरे ख्यालात बदले। कुछ सपने बदले, कुछ अपने बदले। कुछ ख़्वाहिशें बदली, कुछ ख्वाब बदले।
Category: आत्मविश्वास
घाव जरूरी हैं।
परंतु अगर इन्हे सकारात्मक नजरिये से सोचें तो एक सुयोग्य मानव जीवन का श्रजन करने में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। ये घाव दिखाई नही देते किंतु दर्द बहुत देते है , ये आपकी अंतर आत्मा को चोट पहुँचते हैं। ये हमारी मानशिक्ता को अपना शिकार बनाते है, और इसका विपरीत प्रभाव हमारे आत्मविश्वास पर पड़ता है। धोखा, फ़रेब, हद से ज्यादा उम्मीद, विश्वासघात, अन्याय, तिरस्कार, अपमान, हीनभाव, पक्षपात, दया आदि इस घाव के प्रमुख कारक है।