ये रात गयी ,
तेरी याद गयी।
मौसम बदला बरसात आ गई ,
धूप की जगह बदरी छा गई।
प्रक्रति बदली मिट्टी की महक आ गई,
पसीने की जगह पानी की बुंदे छा गई।
तेरे अंदाज बदले,
मेरे ख्यालात बदले।
कुछ सपने बदले,
कुछ अपने बदले।
कुछ ख़्वाहिशें बदली,
कुछ ख्वाब बदले।
किसी कि उम्र बदली,
किसी मे जान आ गई।
किसी की राह बदली,
किसी की चाह बदली।
कुछ तुम बदले,
कुछ हम बदले।
बस चांद सूरज को छोड के थोड़ा थोड़ा सारे बदले।
ये वक्त नहीं लगाव का,
ये वक़्त है बदलाव का।
वक़्त है बदलाव का।।
(हिमांशु चौकसे)